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शिबू मित्रा के निर्देशन में पहलाज निहलानी के प्रोडक्शन तले बनी ‘इल्ज़ाम’ साल 1986 की सुपरहिट फिल्मों में से एक थी. अपने नायक गोविंदा के रूप में इस फिल्म ने एक बहुत खूबसूरत, सजीला और अपनी मासूमियत से दिल जीतने वाला सितारा बॉलीवुड को दिया. आज इस फिल्म को देखते हुए यह बात पूरी गारंटी के साथ कही जा सकती है कि तीन दशक पहले जब भी गोविंदा की तारीफ की गई होगी उसमें ये विशेषण जरूर शामिल रहे होंगे.
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अपनी पहली फिल्म में चोर-कम-डांसर की भूमिका निभाते हुए भी गोविंदा कोई कमाल का डांस नहीं करते हैं. वे उस दौर के कुछ पॉपुलर स्टेप्स को थोड़ा अपनी फुर्ती और थोड़ा कैमरे की कलाकारी की मदद से परदे पर रिक्रिएट भर कर पाते हैं. उन्हें ऐसा करते देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल लगता है कि वाले वक्त में एक खास तरह का डॉन्स स्टाइल पॉपुलर होगा, जिसके पीछे गोविंदा का नाम और काम होगा.
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‘इल्ज़ाम’ के शुरूआती कुछ ही दृश्यों में गोविंदा डांस, एक्टिंग और एक्शन जैसे वे सारे काम कर जाते हैं जो उन दिनों हिंदी फिल्मों का हीरो किया करता था. इसके बाद भी करीबन तीन घंटे लंबी फिल्म में आप उन्हें मन लगाकर देखते हैं, शायद यही वजह इस फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए काफी साबित हुई.
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अभिनय की बात करें तो फिल्म के कुछ भावुक करने वाले दृश्यों में गोविंदा अपने सलोने चेहरे पर परफेक्ट एक्सप्रेशंस लाते हैं और क्लिष्ट हिंदी के संवाद अपनी फटाफट शैली में बोलते हैं. आगे चलकर जल्दी-जल्दी संवाद बोलने का उनका यह स्टाइल न केवल उनके अभिनय की खासियत बना बल्कि उनकी कॉमेडी को अलग बनाने की वजह भी साबित हुआ.
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‘इल्ज़ाम’ में गोविंदा को देखते हुए आपको उस अभिनेता की जरा भी झलक नहीं मिलती है जो आगे चलकर कॉमेडी का एक नया जॉनर सेट करने वाला है. उस अभिनेता की भी नहीं जो आधी कमरिया से साड़ी पहनकर ‘आंटी नंबर-1’ जैसा किरदार रचने वाला है. और इस बात का तो बिलकुल नहीं कि भविष्य उन्हें बॉलीवुड के हीरो नंबर-1 का तमगा देने वाला है!