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महाराष्ट्र की राजनीति में काफी प्रभाव रखने वाले ठाकरे परिवार में यह परंपरा रही है कि परिवार का कोई भी सदस्य न तो सीधे चुनावी राजनीति में उतरता है और न ही सरकार में कोई पद लेता है. ठाकरे परिवार के नेतृत्व वाली शिव सेना की जब महाराष्ट्र में सरकार भी बनी तो भी मुख्यमंत्री का पद परिवार के किसी व्यक्ति ने नहीं लिया. लेकिन पहली बार अब ऐसा लग रहा है कि ठाकरे परिवार का कोई व्यक्ति न सिर्फ चुनाव लड़ सकता है बल्कि सरकार में पद भी ले सकता है.
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बाल ठाकरे ने शिव सेना की स्थापना की थी. उनके जीवनकाल में ही पार्टी महाराष्ट्र में सरकार बनाने की स्थिति में भी आई. लेकिन न तो बाल ठाकरे ने खुद कभी चुनाव लड़ा और न ही वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. पार्टी के अपने वफादारों को उन्होंने न सिर्फ चुनाव लड़ाया बल्कि सरकार चलाने का दायित्व भी इन्हीं लोगों को दिया.
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बाल ठाकरे के जीवन में ही उनके बेटे उद्धव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे भी राजनीति में सक्रिय हुए. लेकिन ये दोनों भी चुनावी राजनीति में नहीं गए बल्कि संगठन की राजनीति में ही रहे. बाद में राज ठाकरे ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई लेकिन फिर भी वे खुद चुनाव नहीं लड़े. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी शिव सेना की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. अभी वे शिव सेना यूथ विंग के प्रमुख हैं.
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अब पहली बार महाराष्ट्र की राजनीति में यह चर्चा है कि ठाकरे परिवार से आदित्य ठाकरे इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में खुद मुकाबले में उतर सकते हैं. उनके बारे में तो यह भी कहा जा रहा है कि अगर चुनाव के बाद प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा—शिव सेना सरकार बनती है तो आदित्य ठाकरे सरकार में भी शामिल हो सकते हैं.
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पिछले दिनों आदित्य ठाकरे ने यह बयान देकर सभी को हैरान कर दिया कि पार्टी में उनके चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा चल रही है और अगर लोगों ने चाहा तो वे चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने ये भी कहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे में यह सहमति बन गई है कि प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री शिव सेना का होगा. पार्टी के कुछ प्रमुख नेता सार्वजनिक तौर पर ये कह रहे हैं कि जिस जन आशीर्वाद यात्रा पर आदित्य ठाकरे निकले हैं, उसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों का उत्साह देखकर तो यही लग रहा है कि वे आदित्य ठाकरे को बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं.