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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हालिया अमेरिका यात्रा को पाकिस्तान में बड़ी कूटनीतिक सफलता बताया जा रहा है. अमेरिका से लौटने के बाद खुद इमरान खान ने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे दूसरी बार विश्व कप जीतकर लौटा हूं. जानकार उनकी की इस ख़ुशी की दो वजह बताते हैं. इनमें पहली कश्मीर मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप का बयान है. दूसरी और सबसे प्रमुख वजह अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हुई बातचीत है.
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पाकिस्तान में इमरान खान की इस यात्रा को बड़ी कूटनीतिक सफलता इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि कुछ महीने पहले तक दोनों देशों के संबंध बेहद ख़राब थे. यहां तक कि बीते साल अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद बंद करते हुए उस पर धोखेबाजी करने का आरोप भी लगाया था. इसके जवाब में इमरान खान ने भी कई ट्वीट कर अमेरिकी राष्ट्रपति को खरी-खरी सुनाई थी. हालांकि, इसके महीने भर बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने इमरान खान को तालिबान शांति वार्ता में सहयोग के लिए एक पत्र लिखा जिसके बाद पाकिस्तान ने शांति वार्ता से जुड़े अमेरिकी अधिकारियों का सहयोग भी किया. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को रुकी हुई आर्थिक मदद बहाल नहीं की और न ही उससे बातचीत की इच्छा जतायी.
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पाकिस्तान के समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से बताया है कि इसके बाद से ही इमरान खान अमेरिका यात्रा की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बात नहीं बन पा रही थी. इस अधिकारी के मुताबिक इस मामले में इमरान खान की मदद सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान और अमेरिका की सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी के दिग्गज नेता लिंडसे ग्राहम ने की. इन दोनों ने ट्रंप को बताया कि पाकिस्तान अफगानिस्तान से निकलने में उनका सबसे अहम सहयोगी साबित हो सकता है.
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जानकारों की मानें तो यही वजह थी कि डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के दौरान इमरान खान ने अधिकांश बातचीत अफगानिस्तान पर ही केंद्रित रखी. इस दौरान ट्रंप ने उनसे कहा कि अगले राष्ट्रपति चुनाव से पहले वे हर हाल में अफगानिस्तान से निकल जाना चाहते हैं. जानकारों की मानें तो इमरान खान जैसे तेजतर्रार नेता को अच्छे से पता है कि ऐसी स्थिति का कैसे फायदा उठाया जाता है. इसीलिए उन्होंने कई बार अमेरिकी राष्ट्रपति को तालिबान से चल रही शांति वार्ता में पूरे सहयोग का आश्वासन दिया. दरअसल, इमरान खान जानते हैं कि इस समय अमेरिका से अच्छे संबंध पाकिस्तान के लिए आर्थिक मोर्चे के साथ-साथ सामरिक स्तर पर भी बड़े मददगार साबित हो सकते हैं.
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दोनों के बीच मुलाकात में और भी कई ऐसी बातें हुईं जिनसे लगता है कि अब दोनों देशों के संबंध मधुर होने वाले हैं. बताया जाता है कि इमरान खान और डोनाल्ड ट्रंप के बीच यह भी तय हुआ है कि ज्यादातर मुद्दों पर अब दोनों सीधी बातचीत ही किया करेंगे. इमरान खान ने अमेरिकी संसंद के निचले सदन की प्रमुख और दिग्गज डेमोक्रेट नैन्सी पेलोसी से भी बातचीत की. इससे पाकिस्तान को उम्मीद है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चस्व वाले निचले सदन का रुख भी उसके प्रति नरम हो सकता है.