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हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि आने वाले समय में नरेंद्र मोदी बालाकोट जैसी और ‘गतिविधियों’ को अंजाम दे सकते हैं. यह बात न सिर्फ इमरान खान कहते हैं बल्कि पाकिस्तानी जनता मानती भी है कि बालाकोट घटना कोई आतंकी हमला नहीं बल्कि एक पॉलिटिकल स्टंट था. पाकिस्तानी आवाम का एक हिस्सा मानता है कि बालाकोट के बहाने मोदी और उनकी सरकार पाकिस्तान से तनावपूर्ण संबंध चाहती है क्योंकि आने वाले चुनावों को देखते हुए यह उनके लिए फायदेमंद है.
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यहां पर एक बड़ा समूह भारतीय जनता पार्टी को एक ऐसे राजनीतिक दल के रूप में देखता है जो न सिर्फ पाकिस्तान का बल्कि मुसलमान विरोधी भी है. 2002 के गुजरात दंगों और बीते सालों में भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ हुई हिंसा के चलते भी पार्टी और नरेंद्र मोदी की यह छवि पाकिस्तानियों के सामने मजबूत हुई है.
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पाकिस्तानी आवाम का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि भाजपा सरकार के समय में उभरे कट्टर हिंदू राष्ट्रवाद ने पाकिस्तान के अस्तित्व का औचित्य साबित कर दिया है. इसके साथ ही इससे यह सोच भी मजबूत हुई है कि हिंदू मूल रूप से मुसलमानों के विरोधी होते हैं. इस तरह मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग करने वाले मुहम्मद अली जिन्ना सही थे कि दो अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के लिए दो अलग-अलग देश होने चाहिए.
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यहां पर एक तबका ऐसा भी है जो 16 मई, 2016 को बनी मोदी सरकार की तुलना पाकिस्तान की उस राजनीतिक घटना से करता है जब 04 जुलाई 1977 को सैन्य तानाशाह जिया उल हक़ ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था. इनका मानना है कि जिस तरह जिया उल हक़ ने उस समय तमाम सरकारी संस्थाओं, कानून, शिक्षा, मीडिया का इस्लामीकरण किया था और उसका असर आज तक है, वैसा ही मोदी काल में भारत के साथ हो रहा है.
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साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के पहले भी पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी के आलोचकों की गिनती कम नहीं थी लेकिन इसके साथ ही उन्हें एक ताकतवर विश्व नेता की तरह भी देखा जाता था. कुछ लोग उन्हें व्लादिमीर पुतिन या डोनाल्ड ट्रंप की टक्कर में आ सकने वाला नेता मान रहे थे. लेकिन बीते दिनों भारत-पाकिस्तान के संबंधों में आई ऐतिहासिक गिरावट के बाद यह सोच रखने वाले लोग भी चिंता में आ गए हैं. पाकिस्तान सरकार की तरह वे भी इस बात की उम्मीद रखते हैं कि चुनावों के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में थोड़ा सुधार होगा.
स्क्रोल.इन की रिपोर्ट पर आधारित.