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अमेरिकी नीतियों की मार झेल रही चीन की दिग्गज कंपनी ह्वावे ने अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम यानी ओएस लांच कर दिया है. स्मार्टफोन पर काम करने वाले इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम ‘हार्मनी ओएस’ रखा गया है. अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में इस चीनी कंपनी पर धोखाधड़ी और जासूसी के आरोप लगाते हुए उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इसके बाद अमेरिकी कंपनी गूगल ने ह्वावे के लिए अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की सेवायें बंद कर दी थीं. गूगल के इस फैसले के चलते दुनिया भर में हुआवे के स्मार्टफोन की बिक्री काफी गिर गयी थी.
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इस समस्या से निजात पाने के लिए ही ह्वावे ने अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम लांच किया है. ह्वावे का हार्मनी ओएस स्मार्टफोन के साथ-साथ स्मार्ट टीवी, स्मार्ट स्पीकर्स और सेंसर्स को भी सपोर्ट करता है. यह आजकल मशहूर हो रहे इंटरनेट ऑफ थिंग्स का भी हिस्सा है. हार्मनी ओएस ह्वावे के नए माइक्रोकर्नल पर आधारित है, जिसके चलते स्पीड के मामले में इसे एंड्रॉयड से कई गुना तेज बताया जा रहा है. तकनीक से जुड़े जानकार भी कहते हैं कि हार्मनी ओएस के सिक्योरिटी फीचर्स का स्तर एंड्रायड की तुलना में काफी बेहतर है. लेकिन, इन लोगों का मानना है कि यह इस समय ह्वावे को संकट से निकलेगा, यह कहना मुश्किल है.
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हार्मनी ओएस को लेकर ह्वावे को सबसे पहले एप्स के मोर्चे पर जूझना होगा. नए ओएस के चलते उसके पास एप्स की भारी कमी होगी और इस वजह से बेहद कम लोग एंड्रॉयड के मुकाबले इसे तरजीह देंगे. एप डेवलपर्स भी हार्मनी ओएस के लिए एप डेवलप करने में अभी ख़ास दिलचस्पी नहीं लेंगे. डेवलपर्स उसी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एप बनाना पसंद करते हैं जिसे बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जाता है. इससे एप बनाने की लागत जल्द निकल आती है और फायदा भी ज्यादा होता है.
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तकनीक से जुड़े जानकार यह भी बताते हैं कि ह्वावे के अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के बाद भी अमेरिकी प्रतिबंध उसके आड़े आएंगे. क्योंकि ये प्रतिबंध गूगल के साथ-साथ सभी अमेरिकी कंपनियों पर लागू होते हैं. इन कंपनियों में फेसबुक, अमेज़न, उबर, ईबे और पेपल जैसी नामी कंपनियां भी शामिल हैं. जानकारों के मुताबिक अब इन कंपनियों को हार्मनी ओएस पर अपनी पहुंच बनाने के लिए सरकार से विशेष अनुमति लेनी होगी. लेकिन हुआवे को लेकर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का जो रुख है, उसे देखते हुए यह अनुमति मिलने की उम्मीद न के बराबर ही है.
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जानकार कहते हैं कि ह्वावे को दुनिया भर में अपना भरोसा फिर से कायम करने के लिए भी बहुत कुछ करना होगा. दरअसल, अमेरिका ने इस चीनी कंपनी पर जो धोखाधड़ी और जासूसी के जो आरोप लगाए हैं, उनकी वजह से लोग काफी समय तक इसे अपनाने से कतराएंगे. जानकारों की मानें तो ऐसे में अगले कई सालों तक चीन के बाहर ह्वावे के लिए चुनौतियां कम नहीं होने वाली.