1
तकरीबन छह महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में चर्चा चलने लगी है. दोनों दलों के कुछ नेताओं को ऐसा लगता है कि इस गठबंधन से दोनों दलों का फायदा होगा और भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली प्रदेश की सत्ता में आने से आसानी से रोका जा सकेगा. दोनों दलों के बीच लोकसभा चुनावों के पहले भी गठबंधन की कोशिशें हुई थीं. लेकिन अंतिम समय में बात नहीं बनी.
2
आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसके कुछ नेता तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं. दिल्ली में बीते लोकसभा चुनावों में 2014 के मुकाबले आप का वोट प्रतिशत तकरीबन आधा हो गया था. 2014 में दिल्ली में आप को 33 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 में यह आंकड़ा घटकर तकरीबन 18 फीसदी रह गया जबकि 2019 में कांग्रेस को आप से अधिक (तकरीबन 22 फीसदी) वोट मिले. दिल्ली की कुल सात सीटों में से पांच पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. आप सिर्फ दो ही सीटों पर दूसरे स्थान पर रही.
3
उधर, कांग्रेस के खेमे में अब तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं शीला दीक्षित आप के गठबंधन के पक्ष में नहीं थीं. पिछले दिनों उनका निधन हो गया. इसके बाद से कुछ नेता फिर से आप-कांग्रेस गठबंधन की बातों को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे लोगों को लग रहा है कि कांग्रेस के अंदर से इसका अब उतना तीखा विरोध नहीं होगा जितना पहले हो रहा था.
4
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि अनौपचारिक बातचीत में संभावित गठबंधन को लेकर चर्चा तो चल रही है लेकिन इस बारे में कोई निर्णय हाल-फिलहाल होता नहीं दिख रहा है. शीला दीक्षित के निधन के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है. ऐसे में जो नए प्रदेश अध्यक्ष आएंगे, वे गठबंधन के बारे में क्या सोचते हैं, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा. फिर राहुल गांधी के बाद कांग्रेस में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी नियुक्ति होनी है. दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर गठबंधन होगा या नहीं यह नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी निर्भर करेगा.
5
शीला दीक्षित के पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अजय माकन लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की वकालत कर रहे थे. शीला दीक्षित के निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस में अब उन्हें सबसे मजबूत नेता माना जा रहा है. ऐसे में अगर प्रदेश कांग्रेस की कमान उनके हाथों में एक बार फिर से आती है तो इस बात की काफी संभावना बढ़ जाएगी कि कांग्रेस और आप के बीच विधानसभा चुनावों को लेकर कोई गठबंधन हो. जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आएंगे, वैसे-वैसे इस संभावना को हकीकत में बदलने की कोशिश दोनों पक्षों से दिख सकती है.