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कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद चर्चा थी कि गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाएगा. लेकिन 2017 में अध्यक्ष पद छोड़ने वाली सोनिया गांधी को ही एक बार फिर से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया.
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दो साल के अंदर एक बार फिर से कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेने के बाद अब सोनिया गांधी को कई चुनौतियों का सामना करना है. इनमें से कुछ निजी स्तर की हैं तो अधिकांश राजनीतिक स्तर की. निजी तौर पर उनकी चुनौती खराब सेहत है. इसके पहले जब वे अध्यक्ष थीं तो उनके सामने उत्तराधिकारी के तौर पर राहुल गांधी का नाम बिल्कुल साफ था. लेकिन इस बार ये चुनौती और भी बड़ी इसलिए है कि जब वे अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ेंगी तो नया अध्यक्ष कौन बनेगा.
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राजनीतिक चुनौतियों में उन्हें पार्टी के अंदर भी मुश्किलों का सामना करना है और बाहर भी. कांग्रेस के कई प्रमुख नेता पिछले कुछ दिनों में भाजपा में शामिल हुए हैं. ऐसे में सोनिया गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये होने वाली है कि अपने नेताओं को भाजपा में शामिल होने से कैसे रोका जाए. पार्टी में आंतरिक स्तर पर सोनिया की दूसरी चुनौती ये है कि अब भी कांग्रेस में उनके जमाने की पुरानी टीम ही मुख्य भूमिकाओं में है. ऐसे में खुद नई टीम तैयार करना या अगले अध्यक्ष का चुनाव होने तक इसी के साथ काम करना दोनों ही बातें काफी मुश्किल हैं.
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कांग्रेस के अंदर सोनिया गांधी की तीसरी चुनौती ये है कि लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कार्यकर्ताओं और नेताओं में जबर्दस्त निराशा का माहौल है. राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद नेतृत्व को लेकर बनी भ्रम की स्थिति ने इस संकट को और गहरा किया है.
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पार्टी से बाहर सोनिया गांधी की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उन्हें विस्तार की राह पर बढ़ रही भाजपा के मुकाबले एक वैकल्पिक राजनीतिक एजेंडा तैयार करना है. इसके अलावा उनके सामने एक बड़ी चुनौती आने वाले विधानसभा चुनाव भी हैं. अगले छह महीनों में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनसे पहले वे पार्टी में जमीनी स्तर पर कितनी जान फूंक पाती हैं, यह भी देखा जाना है.