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19 मई को आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल के आंकड़े आने शुरू हो गए थे. तकरीबन हर एग्जिट पोल में यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की वापसी हो रही है. कुछ एग्जिट पोल्स ने तो एनडीए को तकरीबन 350 सीटें मिलने का अनुमान भी लगाया है.
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एक तरफ जहां एग्जिट पोल के आंकड़ों और नरेंद्र मोदी के वापसी के दावों ने भाजपा में खुशी की लहर दौड़ा दी है. वहीं पार्टी के अंदर एक धड़ा ऐसा भी है जिसे इन एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर संदेह है. इसे लगता है कि केंद्र में भाजपा की सरकार तो बन सकती है लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं कम ही हैं.
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इस खेमे के लोगों को उम्मीद है कि एग्जिट पोल के दावों के उलट भाजपा को इतनी सीटें नहीं मिलेंगी कि वह अपने मौजूदा साथियों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बना सके. साथ ही इन्हें ये भी लग रहा है कि नरेंद्र मोदी के नाम पर नए सहयोगियों को जुटाना बेहद कठिन काम है. ऐसे में पार्टी के इस तबके को लगता है कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अगले प्रधानमंत्री के विकल्प के तौर पर उभर सकते हैं.
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भाजपा का यह हिस्सा मानता है कि राजनाथ सिंह के नाम पर न सिर्फ नए सहयोगियों को जुटाना अपेक्षाकृत आसान होगा बल्कि मौजूदा सहयोगी भी नरेंद्र मोदी के मुकाबले राजनाथ सिंह के साथ अधिक सहज हैं, इसका भी फायदा मिलेगा. इस तरह की बात जो लोग भाजपा के अंदर दबी जुबान से कर रहे हैं, उन्हें राजनाथ सिंह का समर्थक कहा जा सकता है लेकिन इनकी बात को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है.
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इस राय से भाजपा के अंदर वे लोग भी सहमत दिखते हैं जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कार्यशैली से सहज नहीं हैं. इसके साथ ही वे ये भी मानते हैं कि राजनाथ सिंह सबको साथ लेकर चलने वाले नेता हैं. फिलहाल एग्जिट पोल के नतीजों को देखते हुए ऐसे नेताओं में से कोई भी सार्वजनिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. लेकिन पार्टी में प्रमुख नेताओं का एक खेमा ऐसा है जो जरूरत पड़ने पर राजनाथ सिंह के पक्ष में पाला बदल सकता है.