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मोदी सरकार के समर्थकों द्वारा अब यह कहा जा रहा है कि रफाल विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन साल 2012 से ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के संपर्क में थी. ऐसा संभवत: विपक्ष के उस आरोप का जवाब देने के लिए कहा जा रहा है जिसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रफाल सौदे का इस्तेमाल अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए किया है.
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कांग्रेस यह आरोप इस आधार पर लगा रही है कि डसॉल्ट से समझौता करने वाली अनिल अंबानी की कंपनी – रिलायंस डिफेंस – रफाल सौदे से सिर्फ चंद दिन पहले ही बनी थी. 10 अप्रैल, 2015 को नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में रफाल सौदे की घोषणा की थी और इसके ठीक 12 दिन पहले रिलायंस डिफेंस आस्तित्व में आई थी. यहीं नहीं, रिलायंस डिफेंस की जिस सहयोगी कंपनी – रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड – ने असल में डसॉल्ट के साथ समझौता किया वह रफाल सौदे के 13 दिन बाद बनी थी. इसने बाद में डसॉल्ट के साथ मिलकर एक संयुक्त उपक्रम – डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड – बनाया. सौदे से एक महीने पहले – 3 मार्च 2015 को – अनिल अंबानी भी नरेंद्र मोदी से मिले थे और कहा था कि प्रधानमंत्री ने उन्हें रक्षा क्षेत्र में कारोबार करने की सलाह दी है.
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बीते सितंबर में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां होलांद ने भी इन आरोपों को थोड़ा और मजबूत कर दिया था जब उन्होंने कहा था कि रफाल सौदे के लिए भारत की कौन सी कंपनी साझेदार होगी, इसके लिए रिलायंस डिफेंस के अलावा उन्हें कोई और विकल्प नहीं दिया गया था. इसके अलावा मार्च 2015 में डसॉल्ट ने यह कहा था कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ उसकी बातचीत आखिरी दौर में है. इससे लगता है कि रफाल सौदे के वक्त तक डसॉल्ट एचएएल के संपर्क में थी लेकिन फिर अचानक रिलायंस डिफेंस पिक्चर में आ गई.
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अब मोदी सरकार के समर्थक कह रहे हैं कि रिलायंस डिफेंस अचानक पिक्चर में नहीं आई बल्कि डसॉल्ट से उसकी बातचीत एक लंबे समय से चल रही थी. यह बात सही है कि 2012 में डसॉल्ट एविएशन की रिलायंस से बातचीत चल रही थी. लेकिन वह अनिल अंबानी की कंपनी नहीं थी. वह मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी कंपनी – रिलायंस एयरोस्पेस टेक्नोलोजीज लिमिटेड – थी. यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि उस वक्त ये बातचीत सिर्फ कुछ कंपोनेंट बनाने के लिए ही चल रही थी क्योंकि रफाल विमान बनाने का ज्यादातर काम हिंदुस्तान एयरोनॉतिकल लिमिटेड (एचएएल) को करना था. अभी भारत में डसॉल्ट की मुख्य पार्टनर अनिल अंबानी की कंपनी है और एचएएल कहीं सीन में ही नहीं है.
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रिलायंस और डसॉल्ट के संयुक्त उपक्रम – डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड – से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि यह कोई नहीं जानता कि यह असल में क्या करने वाला है. रफाल को लेकर हुए नये समझौते के अनुसार भारत को डसॉल्ट से ‘रेडी–टू–फ्लाई’ कंडीशन में 36 विमान मिलने हैं. इनका कितना काम भारत में होगा, कुछ होगा भी या नहीं, कोई नहीं जानता.