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भोजन में अलग-अलग घटकों को शामिल किए जाने चाहिए. वैज्ञानिक बताते हैं कि फल और सब्जियों को भोजन का बड़ा हिस्सा या लगभग आधा हिस्सा बनाना फायदेमंद है. यहां पर आलू को संतुलित भोजन की श्रेणी में नहीं रखा गया है और न ही इसे सब्जी माना गया है. आलू रक्त में ग्लूकोज यानी शर्करा की मात्रा बढ़ा देता है जो शरीर पर नकारात्मक असर डालती है. वैज्ञानिक कार्बोहाइड्रेट की जरूरी मात्रा शरीर को मिलती रहे इसका ध्यान रखे जाने की बात कहते हैं और फल, साबुत अनाज और दालें इसके आलू से कहीं बेहतर स्रोत हैं.
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साबुत अनाज जैसे गेंहू, जौ, बाजरा, ज्वार, चावल की मात्रा थाली में एक चौथाई होनी चाहिए. ये जितने कम प्रोसेस्ड होंगे उतना अच्छा होगा. ब्राउन राइस या वे चावल जिनसे स्टार्च (मांड) अलग नहीं किया गया हो, अधिक पोषक होते हैं. इसी तरह मैदे की बजाय अपेक्षाकृत मोटे आटे की रोटी खाई जानी चाहिए, अन्यथा ये भी शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन पर बुरा असर डालते हैं.
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संतुलित भोजन की एक चौथाई मात्रा में प्रोटीन होना चाहिए. दालें, मछली, मुर्गा, अंडा, अखरोट और बाकी गिरियां अलग-अलग तरह के प्रोटीन पाने का आसान जरिया हैं. इसके लिए शाकाहारी लोगों को खासतौर पर कई तरह की दालें, बादाम और फलियां खानी चाहिए. मांसाहार करने वालों को लाल मांस या बेकन, सॉसेज जैसे प्रोसेस्ड मीट खाने से बचना चाहिए.
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भोजन में तेल यानी वसा की भी थोड़ी मात्रा होनी चाहिए लेकिन इसके लिए वैज्ञानिक जैतून, कनोला, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली या सरसों जैसे शुद्ध प्राकृतिक तेलों का भरपूर इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. पार्शियली हाइड्रोजनेटेड तेलों यानी वनस्पति घी में अस्वस्थ ट्रांसफैट होते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए. इसके अलावा यह भी ध्यान रख जाना चाहिए कि किसी खाद्य पदार्थ में तेल की मात्रा कम या नहीं होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता कि वह हैल्दी फूड है.
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शरीर में पानी की मात्रा बन रहे इसके लिए कई बार पानी, फलों का रस और संतुलित मात्रा में चाय-कॉफी पीना चाहिए. मीठे से बचना चाहिए क्योंकि ये कैलोरी ज्यादा और पोषण कम देते हैं. इसी तरह दूध या बाकी डेयरी प्रोडक्ट्स भी दिन में एक या दो बार ही खाए जाने चाहिए. इसके अलावा सक्रिय रहना, दौड़-भाग और व्यायाम करते रहना भी स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है.
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशन के आलेख पर आधारित.